अवैध सेवाओं के जरिए कॉन्टेंट देखने वाले ग्राहक: अमेरिका और कनाडा में रहने वाले ज्यादातर भारतीय प्रवासी लोग कॉन्टेंट पाइरेसी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से जुड़ी समस्याओं के बारे में जानते हैं. इस समस्या से यप्पटीवी, जी5, सोनीलिव, हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स, अमेजन, सनएनएक्सटी और कलर्स जैसे प्लेटफॉर्म प्रभावित होते हैं. पाइरेट्स इन सेवाओं का कॉन्टेंट अवैध रूप से आईपीटीवी ऐप्स और सेट-अप बॉक्स के जरिए स्ट्रीम करते हैं.
कई ग्राहक यह समझ नहीं पाते कि जब वे इन बॉक्स को पाइरेट्स से खरीदते हैं और एकमुश्त भुगतान करते हैं तो वे सीधे इन अपराधियों/पाइरेट्स का समर्थन कर रहे होते हैं. ये पाइरेट्स कॉन्टेंट मालिकों से सामग्री चुराते हैं, जिससे मीडिया और मनोरंजन उद्योग को भारी वित्तीय नुकसान होता है और इससे नौकरियों पर भी असर पड़ता है.
अनजाने में कर रहे होते हैं अपराधियों की मदद
पाइरेट्स डार्क वेब पर काम करते हैं, जो ग्राहकों और सरकार दोनों के लिए खतरा पैदा करता है. वे इन अवैध तरीकों से कमाए गए पैसों का इस्तेमाल अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में, जैसे मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद के लिए कर सकते हैं. इस तरह ग्राहक अनजाने में राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में मदद कर रहे होते हैं.
अवैध आईपीटीवी बॉक्स रखने के नतीजे काफी गंभीर हो सकते हैं. ऐसे बॉक्स जिनमें पायरेटेड कॉन्टेंट स्ट्रीम करने के लिए सेटिंग की गई होती है, उनमें ग्राहकों की निजी और गोपनीय जानकारी को ट्रैक करने की क्षमता होती है. पायरेट्स इस जानकारी, जैसे क्रेडिट कार्ड डिटेल्स, को डार्क वेब पर बेच देते हैं.
डार्क वेब तक पहुंच रही जानकारी
हाल ही में नागरा टेक्नोलॉजीज ने पुष्टि की है कि पायरेट्स द्वारा जुटाई गई निजी जानकारी डार्क वेब तक पहुंच रही है. कई मामलों में, लोगों ने फिशिंग ईमेल के झांसे में आकर पैसे गंवाए हैं, जहां उन्हें उनके परिचितों की तरफ से पैसा ट्रांसफर करने का झूठा मैसेज भेजा गया. इसका नतीजा आर्थिक नुकसान होता है.
इसके अलावा, पायरेसी से कमाए गए पैसों का इस्तेमाल ड्रग्स, आतंकवाद और मानव तस्करी जैसे गैरकानूनी कामों के लिए किया जाता है. जब ग्राहक पायरेटेड आईपीटीवी कॉन्टेंट देखते हैं, तो वे इन अवैध गतिविधियों में अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहे होते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कई बड़े अवैध पाइरेट्स में चित्रम टीवी, बॉस आईपीटीवी, टशन आईपीटीवी, रियल टीवी, जादू टीवी, वर्ल्ड मैक्स टीवी, मैक्स टीवी, वीबॉक्स, वॉयस आईपीटीवी, पंजाबी आईपीटीवी और इंडियन आईपीटीवी शामिल हैं.
लीगल एक्शन का करना पड़ सकता है सामना
इसके अलावा, जो यूजर इन पायरेटेड बॉक्सों के जरिए अवैध रूप से कॉन्टेंट देखते हैं, उन्हें लीगल एक्शन का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें कोर्ट से मिलने वाला सम्मन भी शामिल है. इन पायरेटेड सेवाओं के माध्यम से अवैध रूप से एक्सेस की गई प्रत्येक सामग्री के लिए सब्सक्राइबर्स को भारी जुर्माना देना पड़ सकता है. इससे ग्राहकों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ सकता है. उन पर हज़ारों डॉलर का जुर्माना लग सकता है.
ब्रिटेन में हाल ही में हुए एक पायरेसी मामले से यह बात उजागर हुई है कि पायरेटेड सामग्री को अवैध रूप से देखने वाले ग्राहक आपराधिक कृत्य कर रहे हैं.
पाइरेसी के खिलाफ लगातार हो रहा एक्शन
हाल के दिनों में एक बड़े पाइरेट पर पड़े कई छापों के बारे में खबरें आई हैं. जो ग्राहक इन अवैध सोर्स के माध्यम से सामग्री देख रहे हैं, उन्हें अदालत से सम्मन का सामना करना पड़ सकता है. बड़े कॉन्टेंट पार्टनरों को आईपी उल्लंघन के कारण काफी नुकसान हो रहा है. इसे अदालतों द्वारा एक गंभीर आपराधिक कृत्य माना जाता है.
यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत जैसी सरकारों और उन देशों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या पैदा कर रहा है जहां उनके नागरिक रहते हैं. यह समस्या इसलिए पैदा होती है क्योंकि टैक्स की चोरी करने वाले पाइरेट्स को दिया जाने वाले पैसे का नशीली दवाओं की तस्करी और आतंकवाद जैसी अवैध गतिविधियों को सपोर्ट देने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है.
भारत, अमेरिका या कनाडा और अन्य देशों के जिम्मेदार नागरिकों के रूप में, ग्राहकों से अनुरोध है कि वे पाइरेसी का समर्थन करने के बजाय YuppTV, Zee5 और SunNXT जैसे प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से कानूनी रूप उपलब्ध कॉन्टेंट देखें. पायरेटेड सामग्री के इस्तेमाल से ग्राहकों के लिए काफी जोखिम होता है, जिसमें पाइरेट्स द्वारा डार्क वेब के माध्यम से होने वाले संभावित साइबर हमले भी शामिल हैं. यूके में हाल की घटनाएं और 15 मई को फ्रांस में कानून पारित होना ऐसे नतीजे हैं जो ग्राहकों को पायरेटेड सामग्री के इस्तेमाल लिए भुगतने पड़े हैं.
जनवरी महीने के दौरान, FACT और पुलिस पूरे ब्रिटेन में घरों पर छापा डालती रही. इस दौरान लोगों को तत्काल प्रभाव से अवैध स्ट्रीमिंग गतिविधियों को रोकने के लिए नोटिस दिया गया. यूजर्स को इससे जुड़े जोखिमों के बारे में सूचित किया गया जिसमें आपराधिक मुकदमा चलाना भी शामिल है.
वेस्ट मर्सिया पुलिस द्वारा ब्रिटेन स्थित एक अवैध स्ट्रीमिंग सेवा के खिलाफ छापेमारी के बाद 1,000 से अधिक व्यक्तियों की पहचान की गई है, जो मॉडीफाइड बॉक्स, फायरस्टिक्स और सदस्यता के माध्यम से मनोरंजन और खेल सामग्री की सप्लाई कर रहे थे.
https://www.ladbible.com/news/technology/iptv-illegal-streaming-piracy-shield-italy-347634-20240410
जुलाई 2023 में पारित एंटी-पायरेसी कानून संख्या 93/2023 और उसके बाद AGCOM रेग्युलेशन के परिणामस्वरूप “पायरेसी शील्ड” प्लेटफ़ॉर्म अस्तित्व में आया, जो पायरेसी रिपोर्ट के ऑटोमेटेड मैनेजमेंट और डिस्ट्रीब्यूशन की सुविधा देता है. इतालवी कानून के अनुसार, ISP को रिपोर्ट की गई साइटों को 30 मिनट के भीतर ब्लॉक करना चाहिए.
“पायरेसी शील्ड” कॉन्टेंट की अवैध स्ट्रीमिंग को ब्लॉक करने का काम करता है. यह जिन सेवाओं को ब्लॉक करता है, उनमें IPTV के साथ-साथ DNS और VPN सेवाएं भी शामिल हैं जो क्षेत्र विशेष नियमों (geo-specific rules) के तोड़नें में माहिर होती हैं. ISP अकेले ऐसे नहीं हैं जिन्हें पायरेट IPTV सेवाओं को ब्लॉक करने की आवश्यकता है. सभी VPN और ओपन DNS सेवाओं को भी ब्लॉकिंग ऑर्डर का पालन करना होगा.
इसके अलावा, इन बॉक्सों को बेचने वाले रिसेलर्स को ऐसे उपकरणों को अवैध रूप से बेचने के लिए गिरफ़्तारी और भारी वित्तीय दंड का सामना करना पड़ता है. इन रिसेलर्स के खिलाफ़ कॉन्टेंट और प्लेटफ़ॉर्म मालिकों द्वारा की गई कानूनी कार्रवाइयों के कारण दिवालियापन दाखिल करने की नौबत भी आ सकती है.
https://www.ladbible.com/news/crime/iptv-subscription-warning-dodgy-sticks-court-ruling-980583-20240508
मई 2024 में, अमेरिका में एक व्यक्ति पर अवैध आईपीटीवी स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म तक एक्सेस बेचने के लिए 30 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया.
https://www.ladbible.com/news/crime/uk-iptv-fire-stick-facebook-court-crime-038968-20240605
ब्रिटेन के एक बड़े आईपीटीवी विक्रेता को अवैध आईपीटीवी स्ट्रीम के लिए अदालत में सजा सुनाई गई है. पुलिस ने फेसबुक और व्हाट्सएप पर अवैध आईपीटीवी विक्रेताओं पर अपना ध्यान केंद्रित करके फायर स्टिक साम्राज्य को समाप्त करने का काम किया है.
पाइरेट्स:
पाइरेट्स बिना अनुमति के अवैध रूप से कॉन्टेंट डाउनलोड और स्ट्रीमिंग करके अवैध गतिविधियों में लगे हुए हैं, जिससे कॉन्टेंट और प्लेटफॉर्म के मालिकों पर काफी असर पड़ता है. पाइरेसी से होने वाली अवैध कमाई का इस्तेमाल आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध वित्तीय लेनदेन जैसी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फंडिंग करने के लिए किया जा रहा है. पाइरेट्स का नेटवर्क मुख्य रूप से डार्क वेब पर काम करता है और राष्ट्र विरोधी तत्वों को बढ़ावा देता है.
कॉन्टेंट और प्लेटफ़ॉर्म मालिकों पर पड़ने वाले प्रभाव में बौद्धिक संपदा की चोरी शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप राजस्व की हानि होती है क्योंकि उपभोक्ता वैध प्लेटफार्मों पर सदस्यता शुल्क का भुगतान किए बिना को सामग्री देख सकते हैं. इससे YuppTV, Zee5, SunNXT जैसे प्लेटफार्म्स का कारोबार प्रभावित होता. इसके अलावा, पाइरेट्स कोई टैक्स नहीं देते और अपनी अपनी अवैध गतिविधियों से मिले पैसे का उपयोग ड्रग्स और आतंकवाद जैसी अवैध गतिविधियों में योगदान करने के लिए करते हैं.
इसके अलावा, पाइरेट्स ग्राहकों के डेटा भी चुराते हैं, डार्क वेब पर क्रेडिट कार्ड विवरण जैसी व्यक्तिगत जानकारी बेचते हैं. घरों में पायरेटेड बॉक्स भी फ़िशिंग के जोखिम को जन्म देते हैं, ईमेल घोटालों और अनधिकृत बैंक ट्रांसफर के जरिए वित्तीय धोखाधड़ी के लिए पैसे वाले लोगों को टारगेट करते हैं.
बाजार के कुछ बड़े पाइरेट्स में बॉस आईपीटीवी, टशन आईपीटीवी, पंजाब आईपीटीवी, चक दे आईपीटीवी और आईपीटीवी के नाम शामिल हैं.
आईपी ओनर/प्लेटफॉर्म/एग्रीगेटर:
कोई कॉन्टेंट बनाने में काफी पैसा लगाया जाता है, जिसे बाद में उपभोक्ताओं को पैसे लेकर उपलब्ध कराने के लिए प्लेटफ़ॉर्म्स को लाइसेंस दिया जाता है लेकिन पायरेसी से राजस्व का काफी नुकसान होता है जो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है. पाइरेसी से कॉन्टेंट बेचने वाले प्लेटफ़ॉर्म, ब्रॉडकॉस्टर, कॉन्टेंट क्रिएटर, एक्टर, कलाकार और पूरे प्रोडक्शन टीम को नुकसान होता है. किसी कॉन्टेंट को बनाने में काफी बड़ा निवेश और प्रयास शामिल होता है और जब पायरेसी होती है तो इसमें अवैध चोरी शामिल होती है. इससे तमाम लोगों का रोजगार चला जाता है और कंपनियों और पूरे उद्योग को काफी वित्तीय नुकसान होता है.
पाइरेसी के कारण कॉन्टेंट क्रिएटर और वितरकों को सीधे तौर पर वित्तीय नुकसान होता है. जब कॉन्टेंट को अवैध रूप से स्ट्रीम किया जाता है और बिना अनुमति के वितरित किया जाता है तो उपभोक्ता जो वैध पहुंच के लिए भुगतान करते हैं, वे इसे मुफ्त या कम कीमत पर एक्सेस कर लेते हैं. यह उन कारोबारों को नुकसान पहुंचाता है जो कमाई के लिए कॉन्टेंट बेचने या लाइसेंस देने पर निर्भर हैं.
प्लेटफ़ॉर्म: वितरण के लिए कानूनी रूप से कॉन्टेंट हासिल करने वाले प्लेटफ़ॉर्म तब काफी नुकसान होता है जब पायरेसी के जरिए उपभोक्ताओं को मुफ़्त या कम लागत वाले अवैध विकल्प मिलते हैं. इससे इन प्लेटफ़ॉर्म्स के ग्रोथ और स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
ब्रॉडकास्टर: प्रसारणकर्ता जो कॉन्टेंट प्रसारित करने के अधिकार के लिए भुगतान करते हैं, पायरेटेड संस्करण उपलब्ध होने पर दर्शकों की संख्या, लाइसेंसिंग रेवेन्यू और विज्ञापन से होने वाली कमाई को गंवा देते हैं. इससे नए कॉन्टेंट में निवेश करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है.
कंटेंट क्रिएटर्स: पाइरेसी क्रिएटर्स को नए प्रोजेक्ट्स में निवेश करने से रोकती है क्योंकि उन्हें पाइरेसी के कारण निवेश पर रिटर्न नहीं मिलता है.
अभिनेता और कलाकार: पायरेसी से अभिनेताओं और कलाकारों को उनके काम के वितरण से मिलने वाली रॉयल्टी पर असर पड़ता है. इतना ही नहीं, इससे उनकी आजीविका भी प्रभावित होती है, जिससे उनकी नौकरी चली जाती है और उनका करियर प्रभावित होता है.
सरकार:
सरकारें, चाहे भारत में हों, अमेरिका में, कनाडा में या किसी अन्य देश में, पाइरेट्स और ग्राहकों दोनों द्वारा कर चोरी के कारण इनके राजस्व में कमी आ रही है. पाइरेसी के कारण भारत को भारी मात्रा में एक्सपोर्ट से होने वाली कमाई का नुकसान हो रहा है.
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ग्राहकों द्वारा पाइरेट्स को चुकाए गए पैसे का अवैध रूप से नशीली दवाओं और आतंकवाद जैसी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए उपयोग किया जा रहा है. यह स्थिति पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को काफी ज्यादा प्रभावित करती है, जिससे रेवेन्यू की हानि होती है और तमाम संभावित जोखिम पैदा होते हैं क्योंकि इन गतिविधियों में राष्ट्र-विरोधी तत्व शामिल हो सकते हैं.
सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह उपभोक्ताओं को पाइरेसी के परिणामों के बारे में शिक्षित करे और इस बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाए.
पायरेसी से कमाया गया पैसा अक्सर अवैध नेटवर्क में योगदान देता है जो नशीली दवाओं की तस्करी, मानव तस्करी और आतंकवाद जैसी अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है. यह भारत और बाकी दुनिया दोनों के लिए सुरक्षा खतरे पैदा करता है और इससे वैश्विक सुरक्षा प्रभावित होती है.
कुल मिलाकर, कॉन्टेंट की चोरी से सामाजिक और सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी पैदा होती हैं, जिन्हें सरकारों को ग्राहकों को शिक्षित करने, कानूनों को लागू करने, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और वैध सामग्री वितरण करने वाले चैनलों के लिए सपोर्ट के जरिए संबोधित करने की जरूरत है.