सऊदी अरब के नए लेबर कानून: प्रवासी वर्कर के अधिकार और उनकी सुरक्षा

सऊदी अरब की सरकार ने हाल ही में प्रवासी लोगों के लिए नए कानून बनाए हैं। ऐसा लगता है कि ये बदलाव एक वायरल फिल्म के बाद से हुए हैं, जिसने सरकार का ध्यान इस ओर खींचा गया। और सऊदी हुकूमत ने इन नए कानूनों के जरिए प्रवासी वर्कर लोगों की आजादी, सैलरी, और उनके धर्म के अधिकारों को सुरक्षित करने की कोशिश की है। हम आपको इन सभी नए कानूनों और उनके प्रभाव के बारे में जानकारी देंगे, तो कृपया इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।

सऊदी अरब के नए लेबर कानून

जैसा कि आपको पता होगा, कुछ दिन पहले एक भारतीय फिल्म “The Goat Life” रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म को अब अरब देशों में अरबी भाषा में दिखाया जा रहा है, और इसका विरोध भी किया जा रहा है। विरोध का कारण यह है कि फिल्म में सऊदी अरब को गलत तरीके से पेश किया गया है। हालांकि, सच्चाई क्या है, इसके लिए आप हमारी पिछली पोस्ट में पढ़ सकते हैं जिसमें हमने पूरी कहानी विस्तार से बताई है।

सऊदी अरब के नए लेबर कानून

अब सऊदी हुकूमत ने प्रवासी वर्कर लोगों के लिए बेहतर कानून बनाए हैं, और पुराने कानूनों में भी कई संशोधन किए गए हैं। Example के लिए, सऊदी अरब के लेबर लॉ 61 के अनुसार, अब किसी भी वर्कर से बिना तनख्वाह के काम नहीं कराया जा सकता। आपने फिल्म में देखा होगा कि एक भारतीय व्यक्ति से लगभग 5 साल तक बिना सैलरी के काम कराया गया था। लेकिन अब इस नए कानून के तहत कोई भी सऊदी नागरिक किसी भी प्रवासी वर्कर से बिना तनख्वाह के काम नहीं करा सकता।

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प्रवासी वर्कर लोगों के वित्तीय अधिकार

इसके अलावा, एक और महत्वपूर्ण कानून बनाया गया है कि प्रवासी वर्कर लोगों के जायज माली हुकूक, जैसे उनकी सैलरी, बोनस या ओवरटाइम का पैसा, किसी भी सूरत में रोका नहीं जा सकता। इसका मतलब है कि प्रवासी वर्कर का हक अब पूरी तरह से सुरक्षित है, और कोई भी सऊदी नागरिक या कंपनी उनका हिस्सा नहीं रोक सकती।

प्रवासी वर्कर लोगों की आजादी और धर्म का सम्मान

नए कानूनों के तहत, प्रवासी वर्कर लोगों की आजादी पर भी कोई रोक नहीं लगाई जा सकती। जैसा कि आपने फिल्म में देखा था कि एक भारतीय व्यक्ति को कहीं जाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब यह कानून लागू किया गया है कि प्रवासी वर्कर लोगों की आजादी पर कोई पाबंदी नहीं लगाई जा सकती।

इसके अलावा, वर्करों से इंसानी आधार पर अच्छा व्यवहार किया जाएगा, और उनके धर्म का भी पूरा सम्मान किया जाएगा। चाहे वर्कर किसी भी धर्म से ताल्लुक रखते हों, उनका सम्मान हर हाल में किया जाएगा। साथ ही, उन्हें इबादत करने के लिए एक मुनासिब वक्त भी दिया जाएगा ताकि वे अपनी धार्मिक गतिविधियों को सुचारू रूप से निभा सकें।

नस्ल, रंग और धर्म के आधार पर भेदभाव पर रोक

एक और नया कानून यह है कि वर्करों के बीच नस्ल, रंग या धर्म के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा। सभी लोगों को समान अधिकार और अवसर दिए जाएंगे, चाहे वे किसी भी नस्ल, रंग या धर्म से संबंध रखते हों। इसके साथ ही, सभी कंपनियों और कफीलों (employers) को यह निर्देश दिया गया है कि वे अपने वर्करों के लिए अच्छी रिहाइश की व्यवस्था करें, या इसके बदले में उन्हें पैसा दिया जाए।

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वर्करों के रहने और ट्रांसपोर्ट की सुविधा

वर्करों को रहने की अच्छी व्यवस्था दी जाएगी, और अगर रहने की जगह दूर है, तो उनके लिए अच्छी ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था भी की जाएगी। इसके अलावा, अगर कोई वर्कर खुद ट्रांसपोर्ट का इंतजाम करना चाहता है, तो उसे इसके लिए पैसे दिए जाएंगे ताकि वह आसानी से अपने काम पर आ-जा सके।

conclusion:

सऊदी सरकार द्वारा लागू किए गए ये नए कानून प्रवासी वर्कर लोगों के लिए एक बड़ी राहत हैं। उनकी आजादी, सैलरी, धर्म और अन्य महत्वपूर्ण अधिकारों को अब कानूनी तौर पर सुरक्षित किया गया है। यह कदम सऊदी अरब में वर्किंग कंडीशंस को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद है कि इन कानूनों से प्रवासी वर्कर लोगों की जिंदगी बेहतर होगी और उन्हें सही सम्मान और अधिकार मिलेंगे।

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