सऊदी अरब में काम करने वाले वर्करों के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। जो वर्कर अपनी कंपनी या कफील (sponsor) को छोड़कर भाग जाते हैं, उनके ऊपर “हुरूब” लगने की संभावना होती है। लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में हुरूब नहीं लगाया जा सकता है। हम उन्हीं तीन महत्वपूर्ण कंडीशनों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
1. वैलिड कॉन्ट्रैक्ट न होने की स्थिति
पहली और सबसे अहम कंडीशन यह है कि वर्कर का कॉन्ट्रैक्ट वैलिड नहीं होना चाहिए। अगर किसी वर्कर का कॉन्ट्रैक्ट सऊदी की सरकारी वेबसाइट कीवा (Qiwa) पर वैध है, तो कफील (sponsor) या कंपनी उस पर हुरूब नहीं लगा सकती। हुरूब लगाने के लिए सबसे पहले वर्कर का कॉन्ट्रैक्ट टर्मिनेट करना अनिवार्य है। इस कंडीशन के तहत, यदि वर्कर का कॉन्ट्रैक्ट खत्म नहीं होता है, तो वर्कर को हुरूब से बचाया जा सकता है।
Read this also: एक साल के लिए एकामा फीस माफ सऊदी प्रिंस का ऐलान
2. वैलिड वर्क परमिट (रुखसत अल अमल) होना
Read this also: सऊदी अरब में काम करने वाले वर्कर्स के बुनियादी हक और कानून
3. कंपनी का एक्टिव होना
FAQs
प्रश्न 1: हुरूब क्या होता है?
उत्तर: हुरूब एक कानूनी प्रक्रिया है जो सऊदी अरब में गैर मुल्की वर्करों पर लगाई जाती है जब वे अपनी कंपनी या कफील को बिना बताए छोड़ देते हैं।
प्रश्न 2: हुरूब से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर: हुरूब से बचने के लिए वर्कर का कॉन्ट्रैक्ट और वर्क परमिट वैध होना चाहिए, और जिस कंपनी में वह काम कर रहा है, वह एक्टिव होनी चाहिए।
प्रश्न 3: हुरूब के बाद क्या किया जा सकता है?
उत्तर: हुरूब के बाद वर्कर को तुरंत संबंधित अधिकारी से संपर्क करना चाहिए और अपनी स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए।
Conclusion
सऊदी अरब में काम करने वाले वर्करों के लिए हुरूब एक गंभीर मुद्दा हो सकता है। हालांकि, ऊपर दी गई तीन महत्वपूर्ण कंडीशनों के आधार पर, वर्कर हुरूब से बच सकते हैं। यह आवश्यक है कि वर्कर अपने कॉन्ट्रैक्ट और वर्क परमिट को वैध रखें और यह सुनिश्चित करें कि जिस कंपनी में वे काम कर रहे हैं, वह एक्टिव है।