इंडिगो संकट से एयरपोर्ट्स पर अफरा-तफरी
पिछले दो दिनों में Indigo Flights Cancellation की बड़ी संख्या ने देश के कई एयरपोर्ट्स पर तनावपूर्ण माहौल बना दिया है। सैकड़ों उड़ानों के रद्द होने से यात्री नाराज हैं और कई जगहों पर हंगामा तक देखने को मिला। खाने-पीने की दिक्कत, लंबा इंतजार और स्टाफ से बहस जैसी स्थिति लगातार बढ़ रही है।
फ्लाइट्स क्यों रद्द हो रही हैं
स्टाफ की कमी और DGCA के नए नियम
इंडिगो के मुताबिक सबसे बड़ी चुनौती स्टाफ शॉर्टेज और DGCA के नए FDTL (Flight Duty Time Limitation) नियम हैं।
- 1 नवंबर से लागू हुए दूसरे चरण के नियमों के बाद पायलट और क्रू मेंबर्स को ज्यादा आराम देना अनिवार्य है।
- पायलटों के उड़ान भरने की सीमा घटाकर दिन में 8 घंटे कर दी गई।
- रात में उतरने के लिए पायलटों को पहले जितनी अनुमति मिलती थी, अब उसे काफी कम कर दिया गया है और सिर्फ दो नाइट ऑपरेशन की इजाजत रखी गई है।
- क्रू के लिए 24 घंटे में 10 घंटे आराम जरूरी किया गया है।
डाटा बताता है कि नवंबर में इंडिगो की 1232 उड़ानें रद्द हुईं, जिनमें 755 फ्लाइट्स सिर्फ नए नियमों की वजह से रोकी गईं।
इंडिगो का विशाल ऑपरेशन भी चुनौती बना
इंडिगो के पास:
- 434 विमान
- रोज 2300+ उड़ानें
- 5456 पायलट
- 10,212 केबिन क्रू
इतने बड़े नेटवर्क में छोटी भी रुकावट बड़े संकट में बदल जाती है।
किराया कैसे डबल और ट्रिपल हो गया
इंडिगो संकट का असर टिकट कीमतों पर भी दिख रहा है।
- दिल्ली से चेन्नई का किराया ₹81,000 तक पहुंच गया।
- दिल्ली से मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता पर ₹50,000–₹60,000 तक के रेट दिखे।
दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली से लंदन का किराया करीब ₹25,000 है, लेकिन घरेलू रूट कई जगह इससे दो-तीन गुना महंगा दिख रहा है।
सरकार की कार्रवाई और अगले कुछ दिन
DGCA ने नियमों में थोड़ी ढील देते हुए क्रू के साप्ताहिक आराम वाले नियम को फिलहाल वापस ले लिया है।
इंडिगो का कहना है कि 8 दिसंबर तक रद्द उड़ानों का सिलसिला जारी रहेगा, उसके बाद उड़ानें कम करके दबाव कम किया जाएगा।
सरकार ने भी इंडिगो को जल्द से जल्द संचालन सामान्य करने के निर्देश दिए हैं।
कहां-कहां सबसे ज्यादा उड़ानें रद्द हुईं
- मुंबई: 118
- बेंगलुरु: 100
- हैदराबाद: 90
- कोलकाता: 35
- चेन्नई: 26
- गोवा: 11
- भोपाल: 5
- दिल्ली: 225+
कुल मिलाकर, दो दिनों में रद्द फ्लाइट्स की संख्या 900 के पार पहुंच गई है। यात्रियों की परेशानी बढ़ रही है और इंडिगो की सबसे बड़ी चुनौती अब अपने नेटवर्क को सामान्य करना है।